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सिंहस्थ 2028 के लिए लाई गई लैंड पुलिंग योजना वापस, किसानों में जश्न का माहौल; सीएम मोहन यादव ने देर रात की घोषणा
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के लिए लागू की गई लैंड पुलिंग योजना को राज्य सरकार ने सोमवार देर रात औपचारिक रूप से वापस ले लिया। यह निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों के बीच चली करीब दो घंटे की विशेष बैठक के बाद सामने आया। जैसे ही योजना वापसी की खबर उज्जैन पहुंची, किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। जगह-जगह आतिशबाजी हुई, ढोल-नगाड़ों की थाप पर किसान झूमते नजर आए और कई किसानों ने सिंहस्थ भूमि की पवित्र मिट्टी भूमि देवी मंदिर में अर्पित कर कृतज्ञता जाहिर की।
8 महीनों का संघर्ष—किसानों की जीत
लैंड पुलिंग योजना का विरोध पिछले 8 महीनों से लगातार जारी था। भारतीय किसान संघ और किसान संघर्ष समिति मिलकर कई चरणों में आंदोलन कर चुके थे, लेकिन बात सरकार तक नहीं पहुंच पा रही थी।
स्थिति तब गंभीर हुई जब किसान संघ ने प्रदेश सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई की घोषणा कर दी और मंगलवार से कलेक्टर कार्यालय पर अनिश्चितकालीन ‘घेरा डालो–डेरा डालो’ आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया।
किसानों ने साफ कर दिया था कि जब तक योजना वापस नहीं ली जाती, वे परिवार सहित, राशन-पानी, बिस्तर और झंडों के साथ धरना स्थल पर ही रहेंगे।
इस चेतावनी के बाद सरकार हरकत में आई, और रातों-रात हालात तेजी से बदल गए।
कैसे हुआ फैसला—दिल्ली से भोपाल तक चला मंथन
सोमवार सुबह सीएम मोहन यादव दिल्ली गए थे, जहां उन्होंने किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी से मुलाकात की। चर्चा के बाद साफ हो गया कि अंतिम निर्णय प्रदेश में बैठे किसान नेताओं द्वारा ही लिया जाएगा।
दोपहर करीब 2 बजे, किसान संघ के पदाधिकारियों को भोपाल स्थित सीएम हाउस चर्चा के लिए बुलाया गया। रात में हुई विस्तृत बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, उज्जैन संभागायुक्त आशीष सिंह, कलेक्टर रौशन सिंह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल सहित कई अधिकारी और किसान संघ के नेता उपस्थित रहे।
बैठक लंबी चली, लेकिन किसान अपनी मांगों पर दृढ़ रहे। आखिरकार सीएम को योजना वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी।
किसान संघ की प्रमुख मांगें
किसान प्रतिनिधियों ने बैठक में ये मुख्य मांगें रखीं—
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लैंड पुलिंग एक्ट को उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र से पूरी तरह समाप्त किया जाए।
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नगर विकास योजना (TDS 8, 9, 10, 11) से जुड़े गजट नोटिफिकेशन रद्द हों।
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सिंहस्थ पूर्व की परंपरा के अनुसार ही आयोजित किया जाए।
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सिंहस्थ क्षेत्र में कोई स्थायी निर्माण न किया जाए।
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आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज—सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।
सरकार ने मांगों पर सहमति जताते हुए योजना को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की घोषणा कर दी।
योजना वापस—पर सड़कें रहेंगी
भारतीय किसान संघ के भारत सिंह बेस ने बताया कि लैंड पुलिंग योजना तो रद्द हो गई है, लेकिन सिंहस्थ की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जरूरी सड़क निर्माण किया जाएगा।
शिप्रा नदी किनारे प्रस्तावित 29 किमी घाटों को जोड़ने के लिए 120 हेक्टेयर भूमि पर एमआर-22 सड़क बनाई जाएगी। किसान संघ ने इसे आवश्यक बताते हुए समर्थन भी दिया, क्योंकि आने वाले 30 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए यह सड़क अत्यंत महत्वपूर्ण है।
क्या थी लैंड पुलिंग योजना?
सरकार ने सिंहस्थ क्षेत्र में हाईटेक कुंभ सिटी विकसित करने के लिए 2378 हेक्टेयर भूमि पर विकास योजना तैयार की थी।
इसमें—
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50% भूमि उज्जैन विकास प्राधिकरण को
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50% भूमि किसान/भूमि स्वामी के पास रहती
25% भूमि पर सड़क, स्टॉर्म वाटर ड्रेन, सीवर, अंडरग्राउंड विद्युत लाइन जैसी सुविधाएं विकसित की जानी थीं।
5% भूमि पार्कों और ओपन जिम के लिए
5% भूमि अस्पताल, स्कूल, पार्किंग, जनसुविधा केंद्र जैसी सार्वजनिक सुविधाओं के लिए प्रस्तावित थी।
अगर योजना लागू होती, तो यह पहली बार होता कि सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी सड़कें, विद्युत पोल और कनेक्टेड नेटवर्क बनाया जाता। 60 से 200 फीट चौड़ी सड़कों का एक बड़ा जाल तैयार होने वाला था।
लेकिन किसानों के तीखे विरोध के कारण यह योजना अब रद्द हो चुकी है।
अंत में—उज्जैन में राहत और उत्साह
लैंड पुलिंग योजना वापस लेने से उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी राहत महसूस की जा रही है। किसानों का कहना है कि सिंहस्थ उनका भी उतना ही है जितना सरकार का, लेकिन भूमि अधिग्रहण जैसे कदमों से परंपरा और आजीविका दोनों पर खतरा पैदा हो रहा था। सरकार के निर्णय के बाद अब माहौल शांत है, और किसान इसे अपनी बड़ी जीत मानकर जश्न मना रहे हैं।